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Acctedited by NAAC | Estd. in 1961 (Affiliated To D.D.U. Gorakhpur University Gorakhpur(U.P.)
आपका जन्म महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र के एक गाँव गागोदा में हुआ था। आपका मूल नाम विनायक नरहरि भावे था। प्रारम्भिक दिनों में वे रात-दिन रंगों की खोज में लगे रहते थे क्योंकि उस समय रंगों को बाहर से आयात करना पडता था। रंगों की खोज का एकमात्र उद्देश्य भारत को आत्मनिर्भर बनाना था। उनकी माता रूक्मिणी बाई उदार-चित्त, आठों याम भक्ति भाव में डूबी रहती थी और उसी सात्विक वातावरण में 11 सितम्बर 1895 में इनका जन्म हुआ विनोबा जी को आध्यात्म का संस्कार देने, उन्हें भक्ति की तरफ आकर्षित करने एवं सन्यास व वैराग्य की प्रेरणा जगाने में उनकी माँ रूक्मिणी बाई का विशेष योगदान था। जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण, सर्वधर्म सद्भाव, सहआस्तित्व और सम्मान की कला के कारण आगे चलकर विनोबा जी को गाँधी जी का आध्यात्मिक उत्तराधिकारी माना गया। धर्म दर्शन के बारे में विनोबा जी समर्पण और स्वीकार्य भाव रखते थेो मगर जब उन्हें अवसर मिला तो धर्म गन्यों की व्याख्या उन्होंने ने लीक से हट कर की। चाहे वो गीता प्रवचन हो या संत तुकाराम के अभंगों पर लिखी पुस्तक संत प्रसाद। विनोबा जी से पहली मुलाकात होने पर गाँधी जी ने प्रभावित होकर सहज मन से कहा था- बाकी लोग तो इस आश्रम से कुछ लेने के लिये आते हैं, एक यही है जो कुछ देने के लिये आये है। गाँधी जी से प्रेरणा लेकर उन्होंने भूदान आन्दोलन 1951 में आरम्भ किया जो स्वेच्छिक भूमि सुधार आन्दोलन था। इन्होंने सर्वोदय समाज की स्थापना की यह रचनात्मक कार्यों का अखिल भारतीय संघ था। इसका उद्देश्य अहिंसात्मक तरीके से देश में सामाजिक परिवर्तन लाना था। 17 अक्टूबर 1940 को सत्याग्रह भी किया और उन्हें तीन वर्ष सश्रम कारावास का दण्ड भी मिला। उन्हें 1958 में रमन मैग्सेसे पुरस्कार और 1983 में भारतरल प्राप्त हुआ। उन्होंने तत्कालीन भारतीय शिक्षा को उपयोगी बनाने की वकालत की उनका मानना था कि जबतक बालक में समाजिकता और त्याग की भावना का विकास नहीं होगा तबतक वह समाज के विकास में अपना सकिय योगदान नहीं दे सकेगा। उन्होंने गुरूकुल शिक्षा पति की वकालत की। उनके अनुसार शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य स्वप्रेत विचार, कर्तव्य परायणता, आत्मनिर्भरता, विनम्रता एवं समाजसेवा इत्यादि होना चाहिये। नवम्बर 1982 में जब उन्हेंलगा की उनकी मृत्यु नजदीक है तो उन्होंने भोजन का त्याग कर दिया। परिणाम स्वरूप 15 नवम्बर 1982 को उनकी मृत्यु हो गयी। उन्होंने मृत्यु का जो रास्ता तय किया था उसे प्रायोपवेश करते हैं। गाँधी जी को अपना मार्गदर्शक समझने वाले विनोबा भावे ने जन जागृति लाने के अनेक सफल प्रयास किये। उनके सम्मान में निधन के बाद हजारी बाग विश्वविद्यालय का नाम विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग रखा गया। संत विनोबा भावे जी के विचारों से प्रभावित हो कर सन् 1961 में स्व नन्दकिशोर तिवारी एवं अन्यान्य शिक्षानुरागियों ने विश्ववंद्य संत आचार्य विनोबा भावे जी के नाम पर इस महाविद्यालय की स्थापना की। पूर्वांचल के इस विस्तृत क्षेत्र में रहने वाले आम जनगण को उत्तमोत्तम शिक्षा सुलभ कराने की पवित्र संकल्पना को साकार करने में अग्रणी स्वक श्री तिवारी जी ने देवरिया जनपद में अनेक शिक्षण संस्थाओं की स्थापना के तारतम्य में इस महाविद्यालय का भी श्री गणेश किया। स्थापना काल से ही यह शिक्षण संस्थान उच्व शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाते हुऐ विकास पथ पर निरन्तर अग्रसर है। वर्तमान में सुव्यवस्थित परिसर में कला संकाय, वाणिज्य संकाय, विधि संकाय, संचालित है, साथ ही हिन्दी, राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र, अंग्रेजी विषयों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम भी संचालित है। विगत क्षेत्रों अनुशासन, पठन-पाठन, संगोष्ठियों, शिविरों, कार्यशालाओं एवं परीक्षा फल आदि के क्षेत्र में महाविद्यालय द्वारा स्थापित कीर्तिमान सर्वथा स्पृहणीय है। वर्तमान में प्रबन्धक श्री अशोक कुमार मिश्र जी के कुशल प्रबन्धन में महाविद्यालय निरन्तर विकास एवं प्रगति के नित्य नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।